कभी कभी यूँ सोचती हूँ कि...
क्या अच्छा है???
वो कल जो बीत गया...
या वो कल जो आने वाला है...??
वो कल जो बीत गया.. कितना कुछ है उसमें...
खुशियाँ - ग़म, हार - जीत, कुछ यादें कुछ अपने...
और वो सपने जो हकीक़त बन गए...
और हिस्सा है मेरे आज का...
और वो भी जिन्हें कोई मंजिल ना मिली..
पर हाँ... अफ़सोस करने के लिए वो भी जरूरी है..
कितने ही लोग जो मिले.. और बिछड़ गए...
कुछ छूट गए कहीं... और कुछ...
शामिल हो गए मेरे आज में...
मुड़ के देखो तो लगता है कि...
एक पूरी जिंदगी ही छूट गयी है पीछे कहीं..
ग़म है उन लम्हों के बीत जाने का....
फिर खो जाती हूँ मैं आने वाले कल खयालो में...
वो कल जो है बिलकुल अनजान.. अजनबी सा..
कुछ भी तो नहीं पता है उसके बारे में...
पर उम्मीदों, उमंगो और ख्वाबों का तो
पूरा नया जहाँ है वो...
पर अक्सर ही इसमें कुछ ऐसा छुपा होता है जो...
हमारी पूरी दुनिया ही बदल देता है..
या तो कुछ आबाद कर जाता है..
या फिर बर्बाद..
तो फिर अच्छा क्या है..????
अब तो यूँ लगता है.. ये आज ही शायद सबसे अच्छा है..
क्यूकि... इसमें जो कुछ भी.. होगा..
वो मेरी वजह से होगा... अच्छा या बुरा..
उसका जिम्मा मेरा ही होगा...
और इस आज में ना तो अफ़सोस है...
ना ही झूठी उम्मीदें...
ना ही सपनो के पूरे होने ना होने कि शर्तें..
बस ये एक आज ही तो हे.. जो कभी मरता नहीं..
और हमेशा... नया और ताज़ा रहता है..
तो फिर क्यूँ ना इस आज को ही जी लिया जाए....
बहुत अच्छी बात कही प्रियंका जी।
ReplyDeleteसादर
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जो मेरा मन कहे पर आपका स्वागत है
कल 06/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
bahut sundar , behtarin rachana hai...
ReplyDeletehey sweety...
ReplyDeleteReally nice Positive word-craft.
Keep it up.
Very nice thought, and beautifully crafted into a poem. You create magic with words, when you put them in poems, honestly, not even a bit of exaggeration or flattery.
ReplyDeletehmm.. right .. past can't be undone and its hard to predict the future.. present we can live on... that'll see everything in order... :)
ReplyDeleteacche bhaaw.. acchi rachna.....keep sharing...