Monday, 9 January 2012

"माँ"

माँ शब्द कितना छोटा सा है
पर इसके मायने कितने बड़े
माँ जो खुद सब कुछ सहती है
पर बचाती है हमें हर दुःख से
डट कर खड़ी हो जाती है उस राह में
जहाँ से मुश्किल कोई भी आती है
हमारा हर संकट हर दुःख
हमसे पहले माँ से टकराता है और
हर बार हमें छुए बिना ही
माँ से डरकर चला जाता है
जब भी सपने में कुछ भी डरावना दिखता है
तो आँख खुलते ही सिर्फ माँ ही याद आती है
जाते ही माँ के पास और छुपते ही माँ के आँचल में
हर डर दूर हो जाता है
माँ शब्द है कितना विस्तृत
इसका परिमाप तो नहीं वर्णित
पर इतना जरूर कह सकती हूँ कि
भगवान भी माँ का ही रूप होगा
शायद इसीलिए हर अबोध जो
भगवान का रूप होता है
सबसे पहला शब्द सिर्फ "माँ" बोलता है!!!




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